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कुसुम योजना

गेहूं के उत्पादन में यूपी बना नंबर वन

गेहूं के उत्पादन में यूपी बना नंबर वन

आपदा को अवसर में कैसे बदला जाता है, यह कोई यूपी से सीखे। कोरोना के जिस भयावह दौर में आम आदमी अपने घरों में कैद था। उस दौर में भी ये यूपी के किसान ही थे, जो तमाम सावधानियां बरतते हुए भी खेत में काम कर रहे थे या करवा रहे थे। नतीजा क्या निकला? यूपी गेहूं के उत्पादन में पूरे देश में नंबर 1 बन गया। कुछ चीजें जब हो जाती हैं और आप उनके बारे में सोचना शुरू करते हैं, तो पता चलता है कि यह तो चमत्कार हो गया। ऐसा कभी सोचा ही नहीं गया था और ये हो गया। कुछ ऐसी ही कहानी है यूपी के कृषि क्षेत्र की। कोरोना के जिस कालखंड में आम आदमी अपनी जिंदगी बचाने के लिए संघर्ष कर रहा था, सावधानियां बरतते हुए चल रहा था, उस यूपी में ही किसानों ने कभी भी अपने खेतों को भुलाया नहीं। क्या धान, क्या गेहूं, क्या मक्का हर फसल को पूरा वक्त दिया। निड़ाई, गुड़ाई से लेकर कटाई तक सब सही तरीके से संपन्न हुआ। यहां तक कि कोरोना काल में भी सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य पर फसलों की खरीद की। इन सभी का अंजाम यह हुआ कि यूपी गेहूं के क्षेत्र में न सिर्फ आत्मनिर्भर हुआ बल्कि देश भर में सबसे ज्यादा गेहूं उत्पादक राज्य भी बन गया।


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अकेले 32 प्रतिशत गेहूं का उत्पादन करता है यूपी

यूपी के एग्रीकल्चर मिनिस्टर सूर्य प्रताप शाही के अनुसार, यूपी में देश के कुल उत्पादन का 32 फीसद गेहूं उपजाया जाता है। यह एक रिकॉर्ड है, पहले हमें पड़ोसी राज्यों से गेहूं के लिए हाथ फैलाना पड़ता था। अब हमारा गेहूं निर्यात भी होता है, पड़ोसी राज्यों की जरूरत के लिए भी भेजा जाता है। शाही के अनुसार, ढाई साल तक कोरोना में भी हमारे किसानों ने निराश नहीं किया। इन ढाई सालों के कोरोना काल में सिर्फ कृषि सेक्टर की उत्पादकता बढ़ी। किसानों ने दुनिया को निराश नहीं होने दिया। खेतों में अन्न पैदा होता रहा तो गरीबों को मुफ्त में राशन लेने की दुनिया की सबसे बड़ी स्कीम प्रधानमंत्री के नेतृत्व में चलाई गई। आपको तो पता ही होगा कि देश में 80 करोड़ तथा उत्तर प्रदेश में 15 करोड़ लोगों को प्रतिमाह मुफ्त में दो बार राशन दिया गया। राज्य सरकार ने भी किसानों को लागत का डेढ़ गुना एमएसपी देने के साथ ही यह तय किया कि महामारी के चलते किसी के भी रोजगार पर असर न पड़े। कोई भूखा न सोए, एक जनकल्याणकारी सरकार का यही कार्य भी होता है।

21 लाख हेक्टेयर अतिरिक्त भूमि पर मिली सिंचाई की सुविधा

आपको बता दें कि यूपी में पिछले 5 सालों में हर सेक्टर में कुछ न कुछ नया हुआ है। प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना से पिछले पांच साल में प्रदेश में 21 लाख हेक्टेयर अतिरिक्त भूमि पर सिंचाई की सुविधा मिली है। सरयू नहर परियोजना से पूर्वी उत्तर प्रदेश के 9 जिलों में अतिरिक्त भूमि पर सिंचाई सुनिश्चित हुई है। हर जिले में व्यापक स्तर पर नलकूप की स्कीम चलाने के साथ सिंचाई की सुविधा को बढ़ाने के लिए पीएम कुसुम योजना के तहत किसानों को अपने खेतों में सोलर पंप लगाने की व्यवस्था की जा रही है। तो, अगर गेहूं समेत कई फसलों के उत्पादन में हम लोग आगे बढ़े हैं तो यह सब अचानक नहीं हो गया है। यह सब एक सुनिश्चित योजना के साथ किया जा रहा था, जिसका नतीजा आज सामने दिख रहा है।
प्रधानमंत्री कुसुम योजना: किसानों को बड़ा तोहफा, सोलर पंप (Solar Pump) पर 90 प्रतिशत तक की सब्सिडी

प्रधानमंत्री कुसुम योजना: किसानों को बड़ा तोहफा, सोलर पंप (Solar Pump) पर 90 प्रतिशत तक की सब्सिडी

केन्द्र सरकार किसानों की आय बढ़ाने व खेती की लागत कम करने योजनाएं लाकर किसानों की तरह-तरह से मदद करना चाहती है।  

केन्द्र सरकार ने इसी कड़ी में प्रधानमंत्री कुसुम योजना के तहत किसानों को सोलर पम्प खरीदने के लिए बहुत अच्छी आकर्षक योजना बनायी है। 

इस योजना के तहत किसानों को सोलर पम्प की लागत का केवल 10 प्रतिशत हिस्सा देना होगा बाकी सरकार और बैंक क्रेडिट से मिलेगा। आइये जानते हैं इस बारे में विस्तार से।

किसानों की समृद्धि में सहायक है ये योजना

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प्रधानमंत्री कुसुम योजना के दूसरे चरण में सोलर पम्प खरीदने की जो सब्सिडी दी जा रही है उससे किसान भाई कम से कम पैसे में अपनी जरूरत को पूरा करने के लिए सिंचाई की सुविधा जुटा सकते हैं। 

इसके अलावा बिजली से चलने वाले छोटे  मोटे काम भी आसानी से कर सकते हैं। इस तरह से किसान भाई अपने परिवार की आर्थिक स्तर उठा सकते हैं। 

साथ ही खेती से जुड़े ऐसे काम भी कर सकते हैं जिनसे किसानों को अतिरिक्त आय मिल सके। इस प्रकार किसान भाई इस योजना से लाभ उठायेंगे तो उनकी कृषि पैदावार भी बढ़ेगी। साथ ही उनके गांव का भी विकास हो जायेगा।

Content

  1. योजना का दूसरा चरण हो गया है शुरू, आवेदन करें
  2. किसानों को क्या लाभ
  3. महाराष्ट्र सरकार दे रही है कितनी सब्सिडी
  4. दूसरे राज्यों में ये है व्यवस्था
  5. पात्रता की शर्तें
  6. आवश्यक दस्तावेज
  7. आवेदन की प्रक्रिया
  8. ऑनलाइन आवेदन ऐसे करें

योजना का दूसरा चरण हो गया है शुरू, आवेदन करें

प्रधानमंत्री कुसुम योजना का दूसरा चरण लागू किया जा रहा है।  योजना का लाभ लेने के लिए आवेदन करना शुरू हो गया है। जो किसान भाई सोलर पम्प खरीद कर योजना का लाभ प्राप्त करनाचाहते हों तो वे आवेदन कर सकते हैं। 

पीएम कुसुम योजना के दूसरे चरण में किसान भाइयों को सिर्फ 10 प्रतिशत का हिस्सा देना होगा बाकी 90 प्रतिशत की सब्सिडी का लाभ मिलेगा।  

इस योजना का 60 प्रतिशत हिस्सा सरकार की ओर से सब्सिडी के रूप में वहन किया जाता है बाकी 30 प्रतिशत हिस्सा क्रेडिट के रूप में बैंक की ओर से दिया जाता है।

किसानों को क्या हो सकता है लाभ

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सोलर पम्प लगाने से किसान भाइयों को सिंचाई के अलावा अन्य वो कार्य जो बिजली से होते हैं, बिना किसी परेशानी के होंगे। साथ बिजली में आत्मनिर्भरता होगी । 

किसान भाइयों को बिजली कटौती, अधिक बिजली बिल या डीजल की महंगाई की समस्या से भी छुटकारा मिल जायेगा। इसके अलावा यदि किसान भाई अपनी जरूरत से अधिक बिजली पैदा कर लेते हैं तो वे उसे ग्रिड को बेच कर घर बैठे लाभ भी कमा सकते हैं।

महाराष्ट्र सरकार दे रही है कितनी सब्सिडी

केन्द्र सरकार और राज्य सरकारों के सहयोग से यह योजना चलायी जा रही है। इस योजना के तहत राज्य सरकारें अपनी-अपनी सुविधा के अनुसार अपने-अपने राज्य के किसानों को अलग-अलग सब्सिडी दे रहीं है। 

महाराष्ट्र सरकार ने अपने राज्य के किसानों को प्रधानमंत्री कुसुम योजना के तहत सोलर पम्प खरीदने वाले किसान भाइयों को 90 प्रतिशत तक सब्सिडी दिये जाने का प्रावधान किया है।

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दूसरे राज्यों में ये व्यवस्था

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इसके अलावा राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश भी अपने-अपने किसानों को प्रधानमंत्री कुसुम योजना के तहत सोलर पम्प खरीदने वालों को 90 प्रतिशत सब्सिडी दिये जाने की व्यवस्था की है जबकि हरियाणा सरकार ने अपने किसानों को इस योजना के तहत सोलर पम्प खरीदने के लिए 75 प्रतिशत सब्सिडी दिये जाने का प्रावधान किया है।

पात्रता की शर्तें:-

प्रधानमंत्री कुसुम योजना के दूसरे चरण में सोलर पम्प खरीदने वाले किसान भाइयों की पात्रता के लिए कौन-कौन सी शर्ते तय की गयी हैं, जानिये वे इस प्रकार हैं:-

  1. भारत का स्थायी निवासी होना चाहिये
  2. इस योजना में 0.5 मेगावाट से 2 मेगावाट तक की क्षमता वाले सोलर प्लांट के लिए आवेदन किया जा सकता है।
  3. किसानों द्वारा स्वयं निवेश करने पर किसी प्रकार की वित्तीय योग्यता की जरूरत नहीं है। लेकिन यदि आवेदक किसी डेवलपर कीमदद लेता है तो उस डेवलपर के लिए 1 करोड़ रुपये प्रति मेगावाट की नटवर्ध होना जरूरी होगा।
  4. आवेदनकर्ता के लिए अपनी भूमि के अनुपात में 2 मेगावाट का सोलर प्लांट लगाने क्षमता है तो कोई बात नहीं वरना वितरण निगम द्वारा अधिसूचित क्षमता के अनुसार ही आवेदन किया जा सकता है।

आवश्यक दस्तावेज

  1. आवेदनकर्ता का आधार कार्ड होना चाहिये
  2. आवेदक का राशन कार्ड भी होना चाहिये
  3. आवेदक के पास ऐसा मोबाइल नंबर होना चाहिये जो आधार कार्ड से लिंक हो।
  4. बैंक खाता की डिटेल देनी होगी, बैंक खाता की पासबुक की कॉपी चाहिये।
  5. किसान की जमीन की जमाबंदी की कॉपी
  6. रजिस्ट्रेशन की प्रति
  7. यदि डेवलपर से मदद ली जा रही है तो उसकी सीए द्वारा जारी नेटवर्थ सर्टिफिकेट जरूरी होगा।

आवेदन की प्रक्रिया

प्रधानमंत्री कुसुम योजना के तहत सोलर पम्प खरीद पर सब्सिडी लेने के लिए किसान भाइयों को ऑनलाइन आवेदन करना होगा। आपको इसके लिए केन्द्र सरकार की अधिकृत वेबसाइट पर जाना होगा या फिर अपने राज्य की वेबसाइट पर भी जाकर आवेदन कर सकते हैं। 

इसकी पूर्ण प्रक्रिया इस प्रकार होगी। -आपको ऑनलाइन आवेदन के लिए केन्द्र सरकार की वेबसाइट https://mnre.gov.in पर जाना होगा। -यदि आप महाराष्ट्र सरकार के समक्ष आवेदन करना चाहते हैं तो आपको उनकी वेबसाइट  https://kusum.mahaurja.com/solar/benf_login पर जाकर लॉगिन करना होगा। 

इसी तरह अन्य राज्यों की अलग-अलग वेबसाइट पर जाकर भी प्रधानमंत्री कुसुम योजना मे सोलर पम्प खरीदने का आवेदन किया जा सकता है। ऑनलाइन आवेदन ऐसे करें -

जब आप वेबसाइट पर लॉगइन करेंगे तो आपको होम पेज पर आवेदन पत्र का लिंक दिखाई देगा। जिसको क्लिक करें। 

क्लिक करते ही आपको आवेदन पत्र सामने ही दिख जायेगा। जिसको पढ़कर उसमें मांगी गयी जानकारी को भर दें।

आपकी जानकारी के अनुसार मांगे गये दस्तावेजों की डिटेल और उनकी स्कैन कॉपी अपलोड कर दें।

इसके बाद फार्म और अपलोड किये जाने वाले दस्तावेजों को एक बार ध्यान से चेक करने के बाद सबमिट कर दें। इस तरह से आपका आवेदन फार्म सरकार के पास जमा हो जायेगा। बाद बाकी सरकार की ओर से कार्रवाई की जायेगी।

उत्‍तर प्रदेश बजट 2.0 में यू.पी. के किसानों को क्या मिला ?

उत्‍तर प्रदेश बजट 2.0 में यू.पी. के किसानों को क्या मिला ?

उत्‍तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वर्ष 2022 का बजट पेश किया है। जिसमे यू. पी. के वयस्कों, महिलाओं, गरीब किसानों, बेरोजगारों आदि सभी को लगभग काफ़ी कुछ मिला है। तो आइए हम जानते है कि इस बजट के माध्यम से वहां के किसानों को क्या फ़ायदा मिला ?

उत्‍तर प्रदेश बजट 2.0 के माध्यम से किसानों को फ़ायदा :

- सिंचाई के लिए मुफ़्त बिजली, पी.एम. कुसुम योजना, सोलर पैनल्स, लघु सिंचाई परियोजना

बजट में किसानों को सिंचाई के लिए मुफ़्त बिजली का प्रावधान है। इसके लिए किसानों को पी.एम. कुसुम योजना के अंतर्गत किसानों को मुफ़्त सोलर पैनल्स उपलब्ध कराए जाएंगे। सिंचाई की अवशेष परियोजनाओं को आगे बढ़ाने के साथ एक हज़ार करोड़ रुपए की लागत से लघु सिंचाई परियोजनाओं को आगे बढ़ाने का विशेष प्रावधान भी इस बजट में है।

- भामाशाह भावस्थिरता कोश की स्थापना के लिए फंड

किसानों के लिए भामाशाह भावस्थिरता कोश की स्थापना के लिए फंड की व्यवस्था की गई है। मुख्यमंत्री जी ने पहले से ही धान, गेहूं, और अन्य फसलों के लिए एम.एस.पी. कला उपलब्ध कराई थी लेकिन आलू, टमाटर, प्याज, आदि फसलों में इस प्रकार की व्यवस्था नहीं थी जो कि इस बजट में कराई गई है।

- जैविक खेती

प्रदेश में अभी भी काफ़ी किसान जैविक खेती से जुड़े हुए हैं, जिनके लिए मुख्यमंत्री जी ने टेस्टिंग लैब के व्यवस्था की है। और अगले 5 वर्षों में संपूर्ण बुंदेलखंड खंड को जैविक खेती से जोड़ने का प्रावधान भी इस बजट में पेश किया गया है।

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- बीजों का वितरण

वर्ष 2021-2022 में 60.10 लाख क्विंटल बीजों का वितरण किया गया था और वर्ष 2022-2023 में इसकी मात्रा बढ़ाकर 60.20 लाख क्विंटल बीजों का वितरण किया जाएगा।

- नलकूप तथा लघु नहर

प्रदेश में 30,307 राजकीय नलकूपों तथा 252 लघु नहरों के माध्यम से मुफ़्त सिंचाई सुविधा की व्यवस्था की गई है।

- लघु सिंचाई परियोजना

मुख्यमंत्री लघु सिंचाई परियोजना के लिए एक हजार करोड़ रुपए की व्यवस्था की गई है।

- उर्वरक का वितरण

वर्ष 2021-2022 में कृषकों के लिए 98.80 लाख मीट्रिक टन उर्वरक का वितरण किया गया था तथा वर्ष 2022-2023 में 119.30 लाख मीट्रिक टन उर्वरक के वितरण का लक्ष्य रखा गया है।

- सोलर पंपों की स्थापना

कृषकों को सिंचाई के लिए डीजल विद्युत के स्थान पर ऊर्जा प्रबंधन के तहत ऊर्जा संरक्षण के लिए कृषकों के लिए सोलर पंपों की स्थापना की जाएगी।

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विपक्ष की ओर से बयान :

इस बजट पर विपक्ष की ओर से मायावती ने अपना बयान देते हुए कहा है कि, इस बजट से मुख्यमंत्री जी आम जनता की आंखों में धूल झोंक रहे हैं। उन्होनें आगे ट्वीट कर के कहा है कि "यूपी सरकार का बजट प्रथम दृष्टया वही घिसापिटा व अविश्वनीय तथा जनहित एवं जनकल्याण में भी खासकर प्रदेश में छाई हुई गरीबी, बेरोजगारी व गड्ढायुक्त बदहाल स्थिति के मामले में अंधे कुएं जैसा है, जिससे यहाँ के लोगों के दरिद्र जीवन से मुक्ति की संभावना लगातार क्षीण होती जा रही है।" उन्होंने आगे कहा है कि किसानों के लिए जो बड़े बड़े वादे किए गए थे, तथा जो बुनियादी कार्य प्राथमिकता के आधार पर करने थे वे कहां किए गए। 

वहीं कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि बीजेपी ने इतने बजट पेश किए है जिसमे केवल नंबर बढ़ाए गए है, इससे किसानों को कोई फायदा नही मिला है। बेरोजगारी और गरीबी अपनी चरम सीमा पर है। बजट के बारे में जो कुछ भी मुख्यमंत्री जी ने कहा है, उससे आम जनता और किसानों को कोई फायदा नही है। साथ ही वे कहते हैं उनके इन कामों से जनता का कोई फायदा नहीं होगा। वहीं यूपी के मुख्यमंत्री योगी जी ने बजट प्रस्तुत करने के बाद अपने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा है कि यह बजट 2022-2023 का है, जिससे यूपी की 25 करोड़ जनता का फायदा होगा और साथ ही यह बजट उत्तर प्रदेश के गरीब किसानों और नौजवानों की इच्छाओं को ध्यान में रख कर बनाया गया है। इसके अलावा उन्होनें कहा है कि यह बजट प्रदेश के उज्जवल भविष्य को ध्यान में रखते हुए बनाया गया है।

पीएम कुसुम योजना में पंजीकरण करने का दावा कर रहीं फर्जी वेबसाइट : नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय की एडवाइजरी

पीएम कुसुम योजना में पंजीकरण करने का दावा कर रहीं फर्जी वेबसाइट : नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय की एडवाइजरी

पीएम कुसुम योजना को लेकर नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ने जारी की अपनी एडवाइजरी

पीएम कुसुम योजना में पंजीकरण करने का दावा कर रहीं फर्जी वेबसाइट को लेकर नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ने जारी की अपनी एडवाइजरी नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ( एमएनआरई ) ( Ministry of New and Renewable Energy (MNRE) )  ने अपना सुझाव देते हुए कहा है कि अपने व्हाट्सएप/एसएमएस पर ऐसी किसी भी लिंक पर क्लिक ना करें जो प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान (पीएम-कुसुम) योजना के लिए पंजीकरण का दावा करते हैं अन्यथा इससे आपको भरी नुकसान उठाना पड़ सकता है।

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क्या है पीएम-कुसुम योजना ?

नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय द्वारा जारी की गई इस योजना के तहत आपको अपना सोलर पंप स्थापित करने और कृषि पंपों के सोलाराइजेशन के लिए सब्सिडी दी जाती है। 

जिससे आपको अधिक रुपए खर्च करने की जरूरत नहीं होगी। लेकिन इस योजना के लागू होने के बाद से ही कई सारी फर्जी वेबसाइट पीएम कुसुम योजना में पंजीकरण करने दावा कर रहीं हैं जिसका नुकसान कई बार आम लोगों को उठाना पड़ता है। 

इन फर्जी वेबसाइट के माध्यम से आम जनता को नुकसान ना हो इसके लिए मंत्रालय-एमएनआरआई परामर्श जारी किया गया है।

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एनएमआरआई एडवाइजरी

एनएमआरआई ने अपनी एडवाइजरी में कहा है कि योजना लागू होने के बाद कुछ वेबसाइट द्वारा स्वयं को पीएम कुसुम के लिए पंजीकरण पोर्टल होने का दावा किया गया है। 

सी वेबसाइट लोगों को आर्थिक नुकसान पहुंचा रही हैं जो लोग इन वेबसाइट में रुचि लेते हैं उन लोगों से यह वेबसाइट धन की वसूली कर रही हैं और उनके बारे में जानकारी एकत्र कर रही हैं। 

नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय द्वारा वेबसाइटों से होने वाले नुकसान को टालने के लिए पहले भी सार्वजनिक नोटिस जारी करके लोगों को सलाह दी थी कि वे इस तरह की वेबसाइटों में पंजीकरण फीस न जमा करें और ना ही उन्हें अपनी जानकारी दें। 

जिसके चलते शिकायतें प्राप्त होने पर इन फर्जी वेबसाइटों के खिलाफ कार्रवाई की गई है और अनेक पंजीकरण पोर्टलों को ब्लॉक कर दिया गया है, लेकिन इसके बावजूद भी व्हाट्सएप और अन्य साधनों के द्वारा लाभार्थियों को बहकाया जा रहा है। 

इसलिए मंत्रालय यह परामर्श देता है कि इस योजना में रुचि रखने वाले लोग ऐसी किसी भी फर्जी वेबसाइट में जाकर व्यक्तिगत जानकारी देने या धन जमा करने से बचें और वेबसाइट के बारे में संपूर्ण जानकारी प्राप्त करके उसकी प्रमाणिकता की जांच करें।

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मंत्रालय प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा और उत्थान महाअभियान योजना लागू कर रहा है जिसके अंतर्गत कृषक को सोलर पंप स्थापित करने और कृषि पंपों के सौरकरण के लिए सब्सिडी दी जाती है। 

किसान 2 मेगावाट तक ग्रिड से जुड़े सौर विद्युत संयंत्रों को भी स्थापित कर सकते हैं। यह योजना राज्य सरकारों द्वारा निर्धारित विभागों के द्वारा लागू की जा रही है जिसकी संपूर्ण जानकारी एमएनआरआई की वेबसाइट www.nmre.gov.in. पर उपलब्ध है। 

योजना में भाग लेने के लिए पात्रता और क्रियान्वयन प्रक्रिया संबंधी जानकारी प्राप्त करने के लिए मंत्रालय द्वारा जारी की गई वेबसाइट http://www.mnre.gov.in या पीएम-कुसुम सेंट्रल पोर्टल https://pmkusum.mnre.gov.in पर उपलब्ध है और अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए टोल फ्री नंबर 1800-180-3333 डायल करके इस योजना संबंधी संपूर्ण जानकारी आप प्राप्त कर सकते हैं।

भारत सरकार द्वारा लागू की गई किसानों के लिए महत्वपूर्ण योजनाएं (Important Agricultural schemes for farmers implemented by Government of India in Hindi)

भारत सरकार द्वारा लागू की गई किसानों के लिए महत्वपूर्ण योजनाएं (Important Agricultural schemes for farmers implemented by Government of India in Hindi)

हम जानते हैं कि भारत एक कृषि प्रधान देश है। हमारे देश की लगभग 60% से अधिक जनसंख्या कृषि पर निर्भर है और इसी से ही उनका जीवन यापन चलता है। 

इसी को देखते हुए भारत सरकार द्वारा किसानों के लिए बहुत सारी योजनाएं चलाई गई। जिससे किसानों की लागत कम लगे और किसानों की आय में वृद्धि हो सके। इन योजनाओं के माध्यम से किसानों को खेती में आने वाली समस्याएं कम होगी।

भारत सरकार द्वारा किसानों के लिए जरुरी योजनाएं

भारत सरकार द्वारा चलाई गई इन योजनाओं के माध्यम से किसान खेती बहुत ही आसानी और आधुनिक ढंग से कर सकेगा। आइए हम आपको भारत सरकार द्वारा किसानों के लिए लागू की गई कुछ महत्वपूर्ण योजनाओं की जानकारी देते हैं।

1. पीएम किसान सम्मान निधि योजना :-

भारत सरकार द्वारा किसानों के लिए लागू की गई योजनाओं में से प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना (PM Kisan Samman Nidhi ) एक महत्वपूर्ण योजना है। 

इस योजना के तहत भारत के किसानों को साल में ₹6000 दिए जाते हैं जो कि ₹2000 की 3 किस्तों में दिए जाते हैं। योजना की शुरुआत वर्ष 2018 में की गई थी। 

इस योजना के अंतर्गत सरकार द्वारा अभी तक कुल 11 किश्तें जारी हो चुकी है। इस योजना के चलते भारत के किसानों की अपनी आर्थिक स्थिति सुधारने में बहुत मदद मिली है।

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2. प्रधानमंत्री किसान मानधन योजना :-

इस योजना के माध्यम से भारत सरकार द्वारा किसानों के लिए पेंशन की व्यवस्था की गई है। योजना में सरकार द्वारा उन किसानों के लिए पेंशन की व्यवस्था की गई है जो बुढ़ापे में असहाय हो जाते हैं और दूसरों पर निर्भर रहते हैं। 

ऐसे में जो किसान 60 वर्ष से अधिक की उम्र के हैं उन्हें सरकार न्यूनतम ₹3000 पेंशन देती है। “पीएम किसान मानधन योजना” का लाभ उठाने के लिए किसान को 60 वर्ष की आयु तक प्रतिवर्ष 55 से ₹200 तक जमा करने होते हैं। 

60 वर्ष की अवधि समाप्त होने के बाद किसान को पेंशन मिलनी शुरू हो जाती है। यदि किसी कारणवश किसान की मृत्यु हो जाती है तो किसान की पत्नी को 50% पेंशन दी जाएगी।

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3. पीएम कुसुम योजना :-

आजकल गांव में बिजली की समस्या बहुत ही गंभीर है। ऐसे में किसानों को समय पर बिजली ना मिल पाने के कारण उनकी फसलों को समय पर पानी नहीं मिल पाता जिससे फसलें में खराब हो जाती हैं। 

किसानों की इन्हीं समस्याओं को देखते हुए भारत सरकार द्वारा पीएम कुसुम योजना चलाई गई है। जिसके अंतर्गत किसानों को सोलर पैनल्स खरीदने पर सब्सिडी दी जाती है। जिससे किसान बिजली संबंधी अपनी समस्या को दूर कर सकें।

4. जैविक खेती योजना :-

इस योजना के अंतर्गत किसानों को जैविक खेती करने के लिए प्रेरित किया गया है। क्योंकि हम सभी जानते हैं कि वर्तमान में किसान कई प्रकार के रासायनिक कीटनाशकों का प्रयोग कर रहे हैं। 

जिसकी वजह से किसानों को विभिन्न प्रकार की बीमारियों का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में भारत सरकार द्वारा जैविक खेती को बढ़ावा देने के कई प्रयास किए जा रहे हैं इसके लिए भारत सरकार ने जैविक खेती योजना शुरू की। इस योजना में जो कृषक जैविक खेती करते हैं उसको सरकार द्वारा इनाम दिया जाता है।

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5. प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना :-

खेती करना किसानों के लिए आसान नहीं होता। खेती में किसानों को कई प्रकार की प्राकृतिक आपदाओं का सामना करना पड़ता है। 

इन प्राकृतिक आपदाओं जैसे ओलावृष्टि, बाढ़, तेज आंधी के कारण किसान की फसलें नष्ट हो जाती है जिससे उन्हें भारी नुकसान का सामना करना पड़ता है। 

इन सब समस्याओं के कारण सरकार द्वारा प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (Pradhan Mantri Fasal Bima Yojana MINISTRY OF AGRICULTURE & FARMERS WELFARE) लागू की गई है जिसके माध्यम से किसान को फसलों के लिए पीना की सुरक्षा मिलती है।

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सरकार द्वारा योजना लागू करने का उद्देश्य :-

हमारे देश में विभिन्न प्रकार के किसानों रहते हैं। सभी किसानों की आर्थिक स्थिति एक जैसी नहीं है इसके चलते कुछ किसान अमीर और कुछ किसान बहुत अधिक गरीब है। 

इन्हीं समस्याओं के कारण भारत सरकार द्वारा किसानों के लिए विभिन्न प्रकार की योजना चलाई गई हैं। जिसके माध्यम से सभी प्रकार के किसान अपने खेतों में अच्छी से अच्छी फसल उगा सकें और उनकी आर्थिक स्थिति सुधर सके।

कुसुम योजना के तहत 60% अनुदान पर किसानों को मिलेगा सोलर पंप

कुसुम योजना के तहत 60% अनुदान पर किसानों को मिलेगा सोलर पंप

अच्छी फसल के लिये सिंचाई का सुनिश्चित साधन का होना आवश्यक है. इसी को ध्यान में रखते हुए सरकार द्वारा किसानों को सब्सिडी पर सोलर पम्प मुहैया कराई जा रही है, जिससे किसानों के लिये समय पर अपनी फसलों की सिंचाई करने में कोइ परेशानी नहीं हो और फसलों की लागत में भी कमी आए। 

भारत सरकार द्वारा देश भर में इसके लिए कुसुम योजना चलाई जा रही है। इस योजना के तहत राज्य सरकारों द्वारा समय-समय पर आवेदन आमंत्रित किए जाते हैं। वर्तमान में उत्तर प्रदेश के किसान योजना का लाभ लेने के लिए ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं।

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उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा सोलर पम्प पर सब्सिडी देने के लिए किसानों से आवेदन माँगे गए हैं। ऑनलाइन आवेदन कर इच्छुक किसान सोलर पम्प की बुकिंग कर टोकन जनरेट कर सकते हैं। टोकन प्राप्त करने के बाद किसानों को चालान के माध्यम से अपने अंश की राशि बैंक शाखा में जमा करानी होगी।

सोलर पम्प पर दिया जाने वाला अनुदान

किसानों को कुसुम योजना के तहत सोलर पंप की लागत का कुल 60 प्रतिशत राशि अनुदान के रूप में सरकार देगी. किसानों को लागत का 40 प्रतिशत हिस्सा स्वयं देना होगा।

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सोलर पम्प की क़ीमत एवं अनुदान

  • सरकार ने 2 एचपी डीसी और एसी सर्फेस पम्प के लिए 1 लाख 44 हजार 526 रूपये मूल्य निर्धारित किया है। जिसमें किसानों को मात्र 57 हजार 810 रूपये देना होगा, शेष राशि सब्सिडी के रूप में सरकार द्वारा दी जाएगी।
  • वहीं 2 एचपी. डीसी सबमर्सिबल पम्प का मूल्य 1 लाख 47 हजार 131 रुपए निर्धारित है। इस पर किसानों को 88 हजार 278 रुपए की सब्सिडी दी जाएगी और किसानों का अंशदान 58 हजार 835 रूपये होगा.
  • 2 एचपी. एसी सबमर्सिबल की लागत मूल्य 1 लाख 46 हजार 927 रूपये, सब्सिडी 88 हजार 756 रूपये और किसानों के अंशदान की राशि 59 हजार 71 रूपये होगा.
  • 3 एचपी एसी एवं डीसी सबमर्सिबल की क़ीमत सरकार ने 1 लाख 94 हजार 516 रुपए रखी है। इसमें किसानों को 1 लाख 16 हजार 710 रूपये का सब्सिडी मिलेगा जबकि शेष राशि 77 हजार 806 रूपये किसानों को अंशदान के रूप नें देना होगा.
  • वहीं 3 एचपी. एसी सबमर्सिबल के लिए सोलर पम्प की लागत 1 लाख 93 हजार 460 रूपये निर्धारित है. इस पर सरकार किसानों को 1 लाख 16 हजार 076 रूपये सब्सिडी देगी। जबकि शेष राशि अंशदान के रूप में किसानों को 77 हजार 384 रूपये देना होगा |
  • 5 एचपी. एसी सबमर्सिबल की क़ीमत कुसुम योजना के तहत 2 लाख 73 हजार 137 रूपये लागत मूल्य तय है. 5 एचपी. एसी सबमर्सिबल पर सरकार 1 लाख 63 हजार 882 रूपये का अनुदान देगी, जबकि अंशदान के रूप में किसानों को शेष राशि 1 लाख 09 हजार 255 रूपये देना होगा.
  • 7.5 एचपी.एसी सबमर्सिबल की क़ीमत सरकार नें 3 लाख 72 हजार 126 रूपये तय किया है. इस पर सरकार किसानों को 2 लाख 23 हजार 276 रूपये अनुदान देगी, जबकि शेष राशि 1 लाख 48 हजार 850 रुपए किसानों को देना होगा।
  • 10 एचपी.एसी सबमर्सिबल की लगत मूल्य 4 लाख 64 हजार 304 रूपये निर्धारित है. इस पर किसानों को 2 लाख 78 हजार 582 रूपये अनुदान मिलेगा, जबकि शेष राशि 1 लाख 85 हजार 722 रुपए किसानों को देना होगा।
  • सिचाई के लिये पम्प के लिये इच्छुक किसानों के खेतों में बोरिंग होना आवश्यक है. राज्य उन्हीं किसानों को योजना का लाभ देगी जिनके खेत में बोरिंग उपलब्ध होगा.

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इसके लिए कुछ नियम बनायें हैं:

  • 2 एचपी हेतु 4 इंच, 3 एवं 5 एचपी हेतु 6 इंच तथा 7.5 एवं 10 एचपी हेतु 8 इंच का बोरिंग होना चाहिए.
  • किसानों को बोरिंग स्वयं करानी होगी.
  • 22 फिट तक 2 एचपी सर्फेस, 50 फिट तक 2 एचपी सबमर्सिबल, 150 फिट तक 3 एचपी सबमर्सिबल, 200 फिट तक 5 एचपी सबमर्सिबल तथा 300 फिट तक की गहराई पर उपलब्ध जल स्तर हेतु 7.5 एवं 10 एचपी के सबमर्सिबल सोलर पम्प उपयुक्त होते हैं.
  • जलस्तर के अनुसार किसान पंप का चयन करेंगे.

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किसानों को योजना का लाभ लेने के लिए उत्तर प्रदेश कृषि विभाग की वेबसाइट http://upagriculture.com पर पंजीकरण होना आवश्यक होगा. 

ऑनलाइन बुकिंग और टोकन जनरेट करने के उपरान्त कृषक अंश की धनराशि एक सप्ताह के अन्दर किसी भी इण्डियन बैंक की शाखा में जमा करनी होगी, अन्यथा कृषक का चयन स्वतः निरस्त हो जायेगा।

किसान के खर्चो में कमी करने के लिए सबसे अच्छा उपाय है सोलर एनर्जी पर निर्भरता

किसान के खर्चो में कमी करने के लिए सबसे अच्छा उपाय है सोलर एनर्जी पर निर्भरता

खेती किसानी में बढ़ते हुए खर्चों के कारण किसानों की लागत एवं आमदनी में अंतर बढ़ता जा रहा है। पिछले कुछ सालों से देखा गया है कि खेती में लगने वाली लागत में बेतहासा वृद्धि हुई है, लेकिन उस अनुपात में खेती से होने वाली आमदनी में बढ़ोत्तरी नहीं देखी गई है। इसलिए सरकार समय-समय पर किसानों की आय को बढ़ाने के लिए प्रयास करती रहती है। इसी श्रृंखला में आज हम बताने जा रहे हैं सौर ऊर्जा यानी सोलर एनर्जी (Solar Energy) के बारे में, जो परंपरागत बिजली बचाने के साथ-साथ किसानों के खर्चों में लगाम लगाने में सहायक हो सकती है। इसके लिए किसानों को अपनी खेती को परंपरागत बिजली की जगह सोलर एनर्जी से प्राप्त बिजली में स्थानान्तरित करना होगा। किसान सिंचाई के साथ अन्य चीजों में सोलर बिजली का उपयोग कर सकते हैं। इससे एक तरफ तो सरकार द्वारा उपलब्ध करवाई जा रही बिजली की खपत कम होगी, तो दूसरी तरफ बिजली का बिल न आने के कारण किसानों की आमदनी में बढ़ोत्तरी हो सकती है। इसके लिए सरकार ने प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान यानि 'प्रधानमंत्री कुसुम योजना' (Pradhan Mantri Kisan Urja Suraksha evam Utthan Mahabhiyan - 'PM KUSUM Scheme') के नाम से एक योजना भी चलाई है, जिसमें सरकार किसानों को डीजल-पेट्रोल के पम्पों की जगह सौर ऊर्जा से चलने वाले पंपों को लगाने के लिए प्रोत्साहित करती है।


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क्या है प्रधानमंत्री कुसुम योजना?

इस योजना की घोषणा सबसे पहले पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली ने की थी, जिसमें किसानों को सिंचाई का एक अच्छा माध्यम देने के लिए डीजल-पेट्रोल से चलने वाले पम्पों को सौर ऊर्जा से चलने वाले पम्पों से बदलने के लिए कहा गया था। इस योजना का उद्देश्य किसानों को पूरी तरह से सिंचाई के लिए सौर ऊर्जा पर निर्भर बनाना है। प्रधानमंत्री कुसुम योजना के लिए चालू वित्त वर्ष में 34,422 करोड़ रूपये का आवंटन किया गया है, जिसके तहत किसानों को सोलर पम्प लगाने पर सब्सिडी प्रदान की जाएगी। इस योजना के अंतर्गत सोलर पम्प खरीदने के लिए 60 प्रतिशत राशि केंद्र सरकार प्रदान करेगी, जबकि 30 प्रतिशत राशि किसान बैंकों से ऋण के रूप में प्राप्त कर सकते हैं। इस ऋण को किसानों को बैंकों को वापस करना होगा। बाकी बची हुई 10 प्रतिशत राशि का खर्च किसान को खुद वहन करना होगा। PM Kusum Yojna : Source: https://pmkusum.mnre.gov.in/landing.html

प्रधानमंत्री कुसुम योजना का उद्देश्य क्या है?

इस योजना का उद्देश्य किसानों को अपने खेतों में सोलर पैनल (Solar Panel) और सोलर पम्प (Solar Pump) लगाने के लिए प्रोत्साहित करना है। इसके लिए सरकार की तरफ से वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी। सरकार ऐसे राज्यों के किसानों को सोलर पंप या सोलर पैनल प्रदान करने की कोशिश कर रही है, जहां किसानों की, पानी की कमी की वजह से फसलें उजड़ जाती हैं, साथ ही किसान खुद के पैसों से सोलर पैनल लगवाने में समर्थ नहीं हैं। इन सोलर पैनलों से प्राप्त बिजली का उपयोग किसान सिंचाई के साथ-साथ घर के अन्य कार्यों के लिए भी कर सकते हैं। साथ ही अतिरिक्त बिजली सरकार को बेच सकते हैं, जिनसे किसानों को अतिरिक्त आमदनी हो सकती है।

इस योजना का लाभ प्राप्त करने के लिए किन-किन दस्तावेजों की जरुरत होती है?

इस योजना का लाभ प्राप्त करने के लिए आपको आधार कार्ड, मूल निवासी प्रमाण पत्र, आय प्रमाण पत्र, किसान होने का सर्टिफिकेट, बैंक में खाता, जमीन का विवरण, स्थायी निवास प्रमाण पत्र, मोबाइल नंबर और पासपोर्ट साइज फोटो की जरुरत पड़ेगी।

प्रधानमंत्री कुसुम योजना से क्या लाभ हैं?

इस योजना में सोलर पैनल लगवाने पर किसान को लागत का मात्र 10 प्रतिशत ही भुगतान करना होता है। सोलर पैनल लगने के कारण सिंचाई के अलावा अतिरिक्त बिजली का उपयोग घर के अन्य कामों के लिए किया जा सकता है। जिस भूमि पर पानी की कमी के कारण अनाज नहीं उगाया जाता था उस पर अब अनाज उगाया जा सकता है, जिससे किसानों को अतिरिक्त आय होगी। इससे किसानों को आर्थिक तंगी से बचाया जा सकेगा जिससे किसानों की आत्महत्याओं में कमी लाई जा सकेगी।


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सोलर पैनल लगवाने के बाद बार-बार बिजली का बिल भरने की जरुरत नहीं पड़ेगी। इस योजना के तहत लगने वाले सोलर पैनलों से जो अतिरिक्त बिजली बनेगी, उसे किसान सरकार को बेचकर कुछ अतिरिक्त आमदनी प्राप्त कर सकते हैं। इस योजना से प्राप्त बिजली के उपयोग से परोक्ष रूप से किसान पर्यावरण को भी हानि नहीं पहुंचाते हैं।

प्रधानमंत्री कुसुम योजना में आवेदन कैसे करें?

प्रधानमंत्री कुसुम योजना में आवेदन करने के लिए अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग आधिकारिक वेबसाइट हैं, जो सम्बंधित राज्य के कृषि एवं ऊर्जा मंत्रालय द्वारा चलाई जाती हैं। इच्छुक किसान अपने राज्य की ऑफिसियल वेबसाइट पर जाकर इस योजना के लिए ऑनलाइन आवेदन कर सकता है। अप्लाई करने के 90 दिनों के भीतर सहायता राशि मुहैया करवाकर सोलर पम्प चालू कर दिए जाते हैं।
पंजाब सरकार सिचाईं पर करेगी खर्च कम, लेगी सौर ऊर्जा की मदद

पंजाब सरकार सिचाईं पर करेगी खर्च कम, लेगी सौर ऊर्जा की मदद

पंजाब सरकार ने कृषि सिचाईं के खर्च को कम करने के लिए १५ हॉर्स पावर सौर ऊर्जा यानि सोलर एनर्जी (solar energy) की सहायता लेने के लिए केंद्र सरकार से आर्थिक मदद मांगी है। पी एम कुसुम योजना के तहत केंद्र सरकार किसानों के लिए सौर ऊर्जा चलित पंप सेट प्रदान करती है। इसी के अनुरूप पंजाब सरकार भी राज्य के किसानों के लिए हर सम्भव प्रयास कर रही है, जिससे राज्य के किसानों की बिजली का खर्च कम हो सके। पंजाब एक महत्वपूर्ण फसल उत्पादक राज्य है जो कि कृषि जगत में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसी वजह से खरीफ की फसल के उत्तम उत्पादन के लिए राज्य के किसानों को बीज के साथ साथ अधिक बिजली की भी आवश्यकता पड़ती है। यही कारण है कि पंजाब सरकार बिजली के खर्च को कम करने के लिए पी एम कुसुम योजना से वित्तीय सहायता की मांग की है।

पंजाब राज्य को भी पी एम कुसुम योजना में सम्मिलित करने की मांग

पंजाब सरकार के नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा स्त्रोत मंत्री अमन अरोड़ा जी ने बताया कि उन्होंने केंद्र सरकार को लिखित में पत्र भेजा है, जिसमें पंजाब राज्य को पी एम कुसुम योजना में सम्मिलित करने की मांग की है। साथ ही, पंजाब सरकार इस मांग को औपचारिक रूप से केंद्र के समक्ष प्रस्तुत कर चुकी है। हालाँकि, अमन अरोरा जी ने ये भी कहा कि पंजाब राज्य को इस पी एम कुसुम योजना के लाभ से वंचित रखा गया है। साथ ही पंजाब में ज्यादातर पंप सेट की क्षमता १० से १५ एच पी है, किसान उनको वहन करने के लिए सक्षम नहीं हैं, इसलिए किसानों को सी एफ ए यानि केन्द्रीय वित्तीय सहायता की अत्यधिक आवश्यकता है।


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पंजाब राज्य सरकार ने कितने हॉर्स पावर के पंप सेट के लिए माँगा फंड

केंद्र सरकार १ अगस्त २०२२ को पूर्वोत्तर व पहाड़ी राज्यों के किसानों को १५ एच पी क्षमता वाले कृषि पम्पों के लिए सी एफ ए प्रदान करने का प्रावधान किया है, सिर्फ पंजाब राज्य में ही यह ७.५ एच पी तक है। लेकिन पंजाब राज्य सरकार ने १५ एच पी हॉर्स पावर के सौर ऊर्जा पंप सेट की मांग रखी थी।
यूपी के किसानों के लिए फिर शुरू हुई सोलर पम्प वितरण योजना

यूपी के किसानों के लिए फिर शुरू हुई सोलर पम्प वितरण योजना

पीएम कुसुम योजना के अंतर्गत किसानों को अनुदान पर मिल रहीं हैं सोलर पम्प

लोकेन्द्र नरवार लखनऊ। उत्तर प्रदेश के किसानों के लिए मुख्यमंत्री
योगी आदित्यनाथ ने फिर से पीएम कुसुम योजना के अंतर्गत सोलर पम्प वितरण योजना शुरू कर दी है। 20 अक्तूबर से शुरू होने जा रही इस योजना में किसानों को 70 से 80 फीसदी अनुदान पर सोलर पम्प वितरण किए जाएंगे। इसके लिए ऑनलाइन आवेदन मांगे जा रहे हैं।

इन तारीखों में शुरू हो रही है योजना :

1- सहारनपुर, मेरठ, अलीगढ़, अयोध्या, लखनऊ व गोरखपुर मंडलों के किसान 20 अक्तूबर से आवदेन कर सकते हैं। 2- आगरा, बरेली, मुरादाबाद, देवीपाटन, आजमगढ एवं बस्ती मंडलों के किसान 21 अक्तूबर से आवदेन कर सकते हैं। 3- कानपुर, प्रयागराज, झांसी, चित्रकूट, वाराणसी एवं मिर्जापुर मंडलों के किसान 22 अक्तूबर से आवदेन कर सकते हैं। सभी आवदेन ऑनलाइन होंगे।

सोलर पम्प का प्रकार एवं क्षमता :

  • 2 एचपी डीसी सर्फेन्स
  • 2 एचपी एसी सर्फेन्स
  • 2 एचपी डीसी सबमर्सिबल
  • 2 एचपी एसी सबमर्सिबल
  • 3 एचपी डीसी सबमर्सिबल
  • 3 एचपी एसी सबमर्सिबल
  • 5 एचपी एसी सबमर्सिबल
  • 7.5 एचपी एसी सबमर्सिबल
  • 10 एचपी एसी सबमर्सिबल


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इस तरह मिलेगा किसानों को कुसुम योजना का लाभ :

1- प्रदेश के सभी किसान अपने अपने मंडल की तिथियों के हिसाब से यूपी सरकार की वेबसाइट http://upagriculture.com पर जाकर अपना पंजीकरण कराएं। 2- सभी जिलों में लक्ष्य के अनुरूप 200 फीसदी तक पहले आओ-पहले सोलर पम्प पाओ के तहत अनुदान मिलेगा। 3- सबसे पहले प्रतीक्षा सूची को वरीयता दी जाएगी। 4- ऑनलाइन टोकन जनरेट होने के बाद किसान को किसी भी भारतीय बैंक में जाकर चालान के जरिए अपना कृषक अंश जमा करना होगा। 5- इस योजना में शामिल होने से पहले किसान के पास बोरिंग होना अनिवार्य है, जो स्वंय किसान की जिम्मेदारी होगी। ----- लोकेन्द्र नरवार
अब अपनी बंजर और बेकार पड़ी भूमि से भी किसान कमा सकते हैं पैसा, यहां करें आवेदन

अब अपनी बंजर और बेकार पड़ी भूमि से भी किसान कमा सकते हैं पैसा, यहां करें आवेदन

सरकार किसानों की आय को बढ़ाने के लिए समय-समय पर प्रयास करती रहती है। इसके लिए सरकार किसानों के लिए कई तरह की योजनाएं चलाती है, जिनके द्वारा किसान लाभान्वित हो पाएं। सरकार किसानों को लोन मुहैया कारवाने से लेकर कई योजनाओं के माध्यम से सब्सिडी भी प्रदान करती है, ताकि किसान जल्द से जल्द अपनी आय दोगुनी कर पाएं। इसी कड़ी में आगे बढ़ते हुए अब राजस्थान सरकार ने किसानों को सौर ऊर्जा (Solar Energy; Saur Urja) से जोड़ने के लिए योजना शुरू की है। इसके तहत सरकार ने जयपुर में 'सौर कृषि आजीविका योजना पोर्टल' (Saur Krishi Ajivika Yojna) लॉन्च किया है। पोर्टल लॉन्च के दौरान राज्य ऊर्जा मंत्री भंवर सिंह भाटी मौजूद रहे। उन्होंने बताया कि इस पोर्टल के माध्यम से किसान अपनी खाली और बेकार पड़ी जमीन और बंजर खेतों में सोलर प्लांट (Solar Plant) लगाकार बिजली उत्पन्न कर सकते हैं, साथ ही इस बिजली को बेंच सकते हैं। इसके लिए सरकार जमीनों के मालिक और किसानों को विद्युत् वितरण कंपनी के साथ जोड़ रही है।

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सरकार ने सौर कृषि योजना पोर्टल किया लॉन्च

सरकार ने यह पोर्टल इसलिए लॉन्च किया है ताकि किसानों और जमीन मालिकों को उनकी जमीन में सौर ऊर्जा संयत्रों को स्थापित करने में किसी भी प्रकार की दिक्कत का सामना न करना पड़े। यह पोर्टल किसानों और जमीन मालिकों को सौर ऊर्जा संयत्रों को स्थापित करने में हर प्रकार की मदद करेगा। इस पोर्टल की मदद से सौर ऊर्जा कंपनियां सीधे किसानों और जमीन मालिकों से संपर्क साध सकेंगी, साथ ही इस पोर्टल के माध्यम से जमीन को लीज में लेने की प्रक्रिया भी बेहद आसान हो जायेगी, जिससे किसान और ऊर्जा कंपनियों के अधिकारियों को भी ज्यादा परेशान होने की जरुरत नहीं पड़ेगी। इसके साथ ही सरकार ने बताया है कि पोर्टल में किसानों के लिए खेती बाड़ी से सम्बंधित अन्य जानकरियां भी उपलब्ध करवाई जाएंगी। नए पोर्टल पर विजिट करने के लिए किसान भाई www.skayrajasthan.org.in पर जा सकते हैं और इसी के माध्यम से किसान भाई अपना आवेदन प्रेषित कर सकते हैं। सरकार ने बताया है कि सौर कृषि योजना के अंतर्गत यदि कोई किसान अपनी जमीन में सौर ऊर्जा सयंत्र स्थापित करना चाह रहा है तो सरकार के द्वारा उसे पीएम कुसुम योजना के अंतर्गत 30 प्रतिशत तक की सब्सिडी उपलब्ध करवाई जाएगी।

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अगर राजस्थान में जमीनों की बात करें तो यहां पर बहुत सारी जमीनें पानी के आभाव में पूरी तरह से बंजर हो गईं हैं। ज्यादातर मिट्टी रेतीली है, जहां पर हर मौसम में खेती करना बेहद मुश्किल काम है, इसके साथ ही राजस्थान की बेहद गर्म जलवायु खेती के अनुकूल नहीं है। जिसके कारण राजस्थान में बहुत सारी जमीनें अनुपयोगी पड़ी हुई हैं, जिनका कोई उपयोग नहीं है। ऐसे में इन बेकार पड़ी जमीनों का इस्तेमाल सौर कृषि योजना के अंतर्गत सौर सयंत्र लगाने में किया जा सकता है। जिससे किसानों और जमीन मालिकों की आय बढ़ सकती है। अगर आंकड़ों पर गौर करें तो पिछले कुछ सालों में राजस्थान में सौर ऊर्जा के क्षेत्र में क्रांति हुई है। अभी भारत में राजस्थान राज्य सौर ऊर्जा के क्षेत्र में नंबर 1 स्थान रखता है। वर्तमान में राजस्थान में 142 गीगावाट सौर ऊर्जा का उत्पादन होता है, अब बहुत सारी सरकारी और निजी कंपनियां सौर ऊर्जा से माध्यम से बिजली उत्पादन के लिए राजस्थान की खाली पड़ी जमीन में दिलचस्पी ले रही हैं।
सिंचाई के लिए नलकूप लगवाने के लिए 3 लाख से ज्यादा की सब्सिडी दे रही है ये सरकार

सिंचाई के लिए नलकूप लगवाने के लिए 3 लाख से ज्यादा की सब्सिडी दे रही है ये सरकार

रबी का सीजन चालू है, इस सीजन में ज्यादातर राज्यों में बुवाई हो चुकी है और जहां अभी बुवाई नहीं हो पाई है। वहां किसान जल्द से जल्द बुवाई करने की कोशिश कर रहे हैं। रबी की फसलें अंकुरित होने के बाद पानी के अभाव में जल्द ही सूखने लगती हैं। सूखने से बचाने के लिए रबी की ज्यादातर फसलों में तीन से चार बार सिंचाई की जरूरत होती है। फसलों को सूखने से बचाने के लिए किसान दिन रात मेहनत करता है, ताकि उसकी फसल खेत में लहलहाती रहे।


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फसलों के सूखने की समस्या को देखते हुए उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य के किसानों के लिए एक योजना शुरू की है। जिसे मुख्यमंत्री लघु सिंचाई योजना नाम दिया गया है। इस योजना के अंतर्गत सरकार मीडियम व गहरे नलकूपों को खोदने के लिए सब्सिडी प्रदान करती है। इस सब्सिडी को प्राप्त करने के लिए किसान कृषि विभाग की वेबसाईट पर जाकर अपना आवेदन ऑनलाइन जमा कर सकते हैं। [embed]https://www.youtube.com/watch?v=V9_6hWrsloY&t=2s[/embed] जो किसान यह सब्सिडी प्राप्त करने के लिए पात्र होंगे उन्हें 1.75 लाख रुपये से लेकर 2.65 लाख रुपये तक की सब्सिडी राज्य सरकार द्वारा प्रदान की जाएगी। इसके साथ ही इस योजना के अंतर्गत विद्युतीकरण के लिए भी 68 हजार रुपये की सब्सिडी दी जाएगी। सरकार ने सुनिश्चित किया है, कि इस योजना के अंतर्गत 150 मीटर पानी का पाइप बिछाया जाएगा। जिसके लिए राज्य शासन की तरफ से 14 हजार रुपये की सब्सिडी अलग से दी जाएगी।

इतना होगा बोरिंग का आकार

उत्तर प्रदेश सरकार के सिंचाई विभाग के अधिकारियों ने बताया है, कि मुख्यमंत्री लघु सिंचाई योजना के अंतर्गत होने वाले मध्यम आकार के बोर की गहराई 31 मीटर से लेकर 60 मीटर तक होगी। अगर फुट में बात की जाए तो सरकार के तरफ से कराई जाने वाली बोरिंग की गहराई 100 फुट से लेकर 200 फुट तक होगी। इस बोरिंग में 8 इंच चौड़ा पाइप लगाया जाएगा। इसके साथ ही अधिकारियों ने बताया है, कि दूसरे प्रकार का नलकूप गहरा नलकूप होगा, जिसकी बोरिंग की गहराई 60 मीटर से 90 मीटर तक होगी। फुट में यह 200 फुट के तकरीबन हो सकती है। किसानों को मध्यम व गहरे दोनों प्रकार की बोरिंग का लाभ उठाने के लिए jjmup.org पर अपना पंजीकरण कराना होगा, बिना पंजीकरण कराए किसानों को इस योजना का लाभ नहीं मिल पाएगा। उत्तर प्रदेश सरकार के आदेश के अनुसार किसी भी किसान को पंजीकरण के बिना सब्सिडी प्रदान नहीं की जाएगी।


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लघु सिंचाई योजना के अंतर्गत पीएम कुसुम योजना को दिया जाएगा बढ़ावा

अधिकारियों ने बताया है, कि उत्तर प्रदेश में लघु सिंचाई योजना के अंतर्गत पीएम कुसुम योजना को भी बढ़ावा दिया जाएगा। नलकूपों में बिजली की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए पीएम कुसुम योजना अंतर्गत सोलर पंपसेट लगवाने वालों को प्राथमिकता दी जाएगी। केंद्र सरकार के हिसाब से मध्यम आकार के नलकूप में लगने वाले सोलर पंपसेट की कीमत 2.73 लाख रुपये है। पीएम कुसुम योजना के अंतर्गत किसान को इस पर करीब 1.64 लाख रुपये की सब्सिडी मिलेगी तथा बाकी बची 1.09 लाख रुपये की रकम किसान को खुद देनी होगी।


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इसके साथ ही सरकार ने बताया है, कि गहरे नलकूप के सोलर पंपसेट की कीमत भी 2.73 लाख रुपये है, जिसमें सरकार 1.764 लाख रुपये तक की सब्सिडी किसान को प्रदान कर रही है। इस तरह से बाकी बचे लगभग 97 हजार रुपये किसान को स्वयं वहन करने होंगे। जो भी किसान इस योजना के माध्यम से सब्सिडी का लाभ उठाना चाहते हैं, वो जल्द से जल्द वेबसाइट में जाकर ऑनलाइन आवेदन कर दें।
जाने खेती के साथ-साथ बिजली उत्पादन करते हुए कैसे कमा रहे हैं किसान ज्यादा आमदनी

जाने खेती के साथ-साथ बिजली उत्पादन करते हुए कैसे कमा रहे हैं किसान ज्यादा आमदनी

खेती करते हुए किसान खेती के साथ-साथ अलग-अलग तरह के व्यवसाय करते रहते हैं। ताकि उन्हें और ज्यादा आमदनी होती रहे और आर्थिक तौर पर वह मजबूत बने रहे। 

आपने खेती-बाड़ी के साथ-साथ पशुपालन या फिर फूलों आदि की खेती के बारे में तो जरूर सुना होगा। लेकिन क्या आपने कभी खेती के साथ बिजली उत्पादन करते हुए किसानों को लाभ कमाते देखा है। 

आजकल के आधुनिक दौर में क्या कुछ मुमकिन नहीं है। इसी तरह से किसानों के लिए एक बहुत ही अच्छी पहल सरकार की तरफ से की गई है। इसमें किसान खेती के साथ-साथ बिजली उत्पादन करते हुए लाभ कमा सकते हैं। 

इस स्कीम के तहत सबसे अच्छी बात है, कि सरकार खुद किसानों को इसके लिए प्रेरित कर रही है और अच्छी खासी मदद भी दे रही है। 

अब सौर ऊर्जा को प्रमोट करते हुए खेत में सोलर पंप से लेकर सोलर प्लांट लगवाने के लिए किसानों को प्रेरित किया जा रहा है। जिससे कृषि कार्यों के लिए खेतों से ही बिजली मिल जाए। साथ में, बिजली कंपनियों को भी बिजली को बेचकर अतिरिक्त आमदनी हो जाए। 

उत्तर प्रदेश में भी जल्द किसानों को ऐसी ही एक योजना का लाभ मिलने वाला है। उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड ने 6 जिलों में प्राइवेट डेवलपर्स यानी किसानों के साथ बिजली को खरीदने के लिए एक समझौता किया है। 

इस एग्रीमेंट का उद्देश्य किसानों की आय बढ़ाना है और यह पीएम कुसुम योजना के तहत लागू किया जा रहा है। इस योजना के तहत 7 मेगावाट सोलर पावर जेनरेशन प्रोजेक्ट को गति देने के लिए किया गया है।

कैसे होगी किसानों की आमदनी

अगर किसानों की भूमि बंजर और अनुपयोगी है, तो उत्तर प्रदेश के किसान अपनी भूमि पर सोलर पावर प्लांट लगवा सकते हैं। 

यह सोलर पावर प्लांट लगवाने के लिए किसानों को तमाम तरह के बैंक और वित्तीय संस्थाएं पूरी तरह से मदद करेंगे। इसके अलावा इस योजना के तहत आप सरकार से सब्सिडी भी ले सकते हैं। ताकि आपको शुरुआती समय में ज्यादा खर्च ना करना पड़े।

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इतना ही नहीं, किसान अपने खेतों में लगे सोलर प्लांट से बिजली का उत्पादन लेकर ना सिर्फ कृषि कार्यों को बिना किसी खर्च में पूरा कर सकते हैं। बल्कि प्राइवेट बिजली कंपनियों को बेचकर अतिरिक्त आमदनी भी कमा सकते हैं। 

फिलहाल, सौर बिजली उत्पादन की सुविधा यूपी के बिजनौर, हाथरस, महोबा, जालौन, देवरिया और लखनऊ में दी जाएगी।

कितना होगा बिजली उत्पादन

यूपीपीसीएल के अध्यक्ष एम. देवराज ने बताया है, कि बिजनौर के विलासपुर गांव में 1.5 मेगावाट का सौर ऊर्जा उत्पादन केंद्र बनाया जाएगा। हाथरस के मौहारी गांव में 0.5 मेगावाट और देवगांव के गांव में 1 मेगावाट की सुविधा दी जाएगी।

महोबा और जालौन के खुकसिस गांव में 1 मेगावाट और बरियार गांव में 1 मेगावाट की सुविधा वाला सौर ऊर्जा उत्पादन केंद्र बनाने का प्लान है। यहां पर किसानों को दो तरह के विकल्प दिए गए हैं। 

पहला या तो वह डीजल से चलने वाले सिंचाई पंप को सोलर एनर्जी सिंचाई पंप में अपग्रेड करवा सकते हैं या फिर अपने खेत में सोलर प्लांट लगवाने की व्यवस्था कर सकते हैं। 

कमाई की बात की जाए, तो इस तरह से लगे हुए सोलर पावर प्लांट से किसान सालाना लगभग 80,000 रुपये तक कमा सकते हैं। 

इस योजना के तहत सरकार की तरफ से किसानों को सोलर पंप की लागत पर 90 फीसदी सब्सिडी भी उपलब्ध करवाई जाएगी।

क्या है पीएम कुसुम योजना

पीएम कुसुम योजना के तहत 1 मेगावाट का सोलर प्लांट लगवाने के लिए लगभग 5 एकड़ जमीन की जरूरत होती है। वहीं पर अगर आप 0.2 मेगावाट बिजली का उत्पादन करना चाहते हैं, तो यह केवल 1 एकड़ जमीन में भी किया जा सकता है। 

इस योजना के तहत किसानों को सबसे बड़ा फायदा यह है, कि उन्हें स्वयं भी किसी तरह की बिजली से जुड़ी हुई समस्याओं से नहीं जूझना पड़ेगा। 

साथ ही, वह बनने वाली एक्स्ट्रा बिजली को बेचकर ज्यादा आमदनी भी कमा सकते हैं। जिससे उनके आर्थिक हालात सुधारने में बेहद मदद मिलेगी।